जंगल
जंगल
गमले में लगा पौधा नहीं होता
शहर के किसी घर पर लगे
पौधे जंगल नहीं होते
माली द्वारा तराशे पौधे कभी भी
जंगल नहीं हो सकते
जंगल बनता है
निहायत ही जंगलीपन से
आड़ा-तिरछा
अपनी मर्जी का मालिक होता है जंगल
बिना तराशे
आकार लेता है इक जंगल
बिल्कुल ही जंगली जंगल
औघड़ की तरह
अपनी मस्ती में बढ़ता,
बनता जंगल छोटे-बड़े सबको समाता जंगल
कुलांचे भरते हिरण से बनता है जंगल
शेर की दहाड़ बनाती है जंगल को जंगल
मदमस्त हाथी संवारते हैं जंगल
चिड़ियों की चहचहाहट होती है जान जंगल की
गड्ढे से झांकती आंखों से बनता है जंगल
केवल पौधा
केवल शेर
केवल भालू
केवल हिरण
नहीं होता जंगल
जंगल
गमले में लगा पौधा नहीं होता
कुछ और ही होता है जंगल
बहुत कुछ होता है जंगल
बीच राह में पड़ा पत्थर होता है जंगल
पत्थर के नीचे चींटी,कीड़े-मकोड़े
होता है जंगल
दीमक की बांबी होता है जंगल
बारिश होता है जंगल
जंगल
गमले में लगा पौधा नहीं होता है...