वसुधा
वसुधा
कितनी बेरहम हो तुम
वसुधा जब हमारे बच्चों
की बारी आई
तो कभी टूट जाती हो
तो कभी फट
कभी
खिसक जाती हो
तो कभी दरक
कभी बह जाती हो
तो कभी थम
ये क्या तमाशा
बना रखा है तुमने
इस क़दर तो बेरहम
नहीं थीं तुम !
ज़रा हमारे बच्चों का तो
ख़्याल किया होता ?
तुम्हें तो हमने
मां कहा, तुम्हारी पूजा की
तुम्हें माथे से लगाया
तुम्हें तो इस क़दर बेरहम
नहीं होना चाहिए।