ना करो इतना प्यार
ना करो इतना प्यार
ना करो इतना प्यार कि सह ना सकूँ
रहना पड़े तेरे बगैर तो रह ना सकूँ।
जज़्बात भरे हैं सीने में मेरे भी बहुत
लफ्ज़ मिलते हैं मगर कह ना सकूँ।
नादानियाँ ज़िन्दगी में कई की हैं हमने
दिल पत्थर कर लिया कि ढह ना सकूँ।
हवायें ज़ोर की चली हैं समंदर में आज
बन जाओ तुम पतवार कि मैं बह ना सकूँ।
हर ज़र्रे में दिखता है अक्स तेरा ही मुझे
इतने भी ना बिखरो कि तुम्हें तह ना सकूँ।