दोस्त
दोस्त
कुछ दोस्त ऐसे होते हैं
खरे सिक्के के जैसे होते हैं
वो रहते हो दूर कितने भी
दिल में धड़कन जैसे होते हैं
ज़िंदगी की धूप में
घनी छांव जैसे होते हैं
बरसों ना मिले या सदा साथ हों
जैसे होते हैं वैसे के वैसे होते हैं
उनके होने से हो जाते हैं उजाले
वे अँधेरे के दिये जैसे होते हैं
बात करते हैं तो समय कहाँ उड़ जाता है
वो सरगम की धुन के जैसे होते हैं
उपमाएं कितनी भी दो उनको,कम हैं
इतना समझ लो वो जीवन से होते हैं
बांधे नहीं जा सकते कुछ रिश्ते शब्दों में
कैसे कह दूँ कि वो कैसे होते हैं।