तुम से मैं हूँ
तुम से मैं हूँ
कैसे दूँ अपनी चौथ तुम्हें
तुम चाँद नहीं मेरे
तुम तो मेरा पूरा आसमान हो
कौन कहता है तक़दीर बद है मेरी
तुम ज़िन्दगी ही नहीं मेरी
मेरी ख़ुशनसीबी का परवान हो
बहुत लोग यूँ ही मिला करते हैं
मिलकर बिछड़ जाने को
तुम मेरी हर साँस के मेहमान हो
तुम क्या हो मेरे
ये कैसे बताऊँ दुनिया को
तुम से मैं हूँ तुम मेरे जहान हो।