भाई
भाई
कभी सताये कभी रूलाये
लड़कर भी जो दूर न जाये
खुद चाहे जितना चिढ़ाये
कोई दूसरा कुछ बोल न पाये
ऐसा है भाई का प्यार
खुद से पहले हर बार
जो मेरी हर बात मान जाये
अपनी हर खुशी को
सबसे पहले मुझसे बाँटे
ऐसा है भाई का प्यार
इस रिश्ते को हमेशा निभाना
कभी लड़कर कभी झगड़कर
बस साथ निभाना
मैं जो चली जाऊँ घर से तो
मुझे भूल ना जाना
माँ-पापा के बाद भाईयों से ही
तो है मायके का घराना।।