बेटी और फूल
बेटी और फूल
कितने प्यारे फूल खिले हैं।
जैसे घर में गूंजे बेटी की किलकारी।।
बेटी वो फूल है ,जो दो घरों को महकाती।
हँसी से मायका और संस्कार से सुसराल सजाती।।
बेटी वो फूल है जो हर बाग में नहीं खिलती।
किस्मत वाले हैं जिनको ये लक्ष्मी मिलती।।
लाख लगा लो गुलाब अपने आंगन में।
खुशबू चम्पा, चमेली से ही आती।।
मत तोड़ो सुन्दर फूलों को।
मत रौदों किसी बेटी को।।
बेटी है तो हम हैं।
बेटी ही लक्ष्मी,दुर्गा,सरस्वती हैं।
नाहीं द्रोपदी का चीर हरण होता।
बस पांडवों के जो एक बहन बेटी होती।।