होलिका दहन
होलिका दहन


आ रही हैं होली
जो यहीं संदेश देती
बुराई पर अच्छाई की जीत होती
होली जलकर सब द्वेश मिटा देती
फिर क्यों होली से
पहले दिल्ली जल रही
फ्रि की बिजली मिली
तो लोहे को पिघला कर
क्यों शमशीर बन रही
आजाद हुई कश्मीर
तो दिल्ली क्यों कश्मीर बन रही
हैं यही दुआ रब से
हो रंगो की बरसात इस होली
छाये रंगो की ऐसी खुमानी
ना रहे हिंदू ना रहे मुसलमान
बस इसांन हो इसांन
ना रहे किसी की आंखो में हवस
बस दिलो में हो इसांनियत
ना हो नफरत के बीज
बस खीले प्यार के फूल
आ रही हैं होली।