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Versha Gupta

Abstract

5.0  

Versha Gupta

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फाल्गुन आयो रे

फाल्गुन आयो रे

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आयो रे, आये रे

फाल्गुन आयो रे

ले के आयो रे रंगो का त्योहार

फाल्गुन आयो रे

 

उङे रे अबीर और गुलाल

बिखरे रे खुशियों की बौछार 

फाल्गुन आयो

युवा और बच्चो पर 

छाये रे होली का खुमार

फाल्गुन


सब बनाये अपनी अपनी टोली

भर भर कर के रंगो की पिचकारी

कि फाल्गुन

बड़ों के निकले दम

जब बच्चे छुङाये गुब्बारो के बम

कि फाल्गुन


मुँह में घुले रे चाशनी गुझिया की

जीभ ले चटकारे चाट के

कि फाल्गुन

बच्चों के चेहरे पर छाये रे मुस्कान


जब मैया बनाये

तरह तरह के पकवान

और पापा लाये

उपहारों की सौगात

कि फाल्गुन


ले के आयो रे रंगों का त्योहार

जब मिले रंगो में रंग

तो गिले शिकवे भूलकर

दुश्मन भी बन जाये यार

कि फाल्गुन आयो रे


ले के आयो रे रंगों का त्योहार

फाल्गुन आयो रे।


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