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Versha Gupta

Others

4.8  

Versha Gupta

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कान्हा संग होली

कान्हा संग होली

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ललिता राधा से बोल रही

आयी री सखी रंग बिरंगी होली

आओ सखियों संग मिल खेलें होली।


राधा ललिता से बोली

मुझे ना भाये ये रंग बिरंगी होली

याद आये कान्हा संग प्यार वाली होली।


ललिता राधा से बोल रही

काहे उदास होरी तू सखी

ब्रज में फाल्गुन आयी गयो

चल कान्हा संग खेलें होली।


राधा ललिता से बोली

मैं ना जाऊं वृन्दावन

कान्हा खुद आये राधा धाम(बरसाना)

फिर संग मिल खेलें होली।


ब्रजबाला ने याद किया

खीचें चले आये कान्हा

खेलने राधा संग होली।


कान्हा ने मारी पिचकारी

राधा हुई शर्म से गुलाबी

कान्हा ने जब पकङी कलाई

ब्रजबाला हाथ छुङाकर भागी।


फिर बंधा ऐसा शमा

देखो भागी रे भागी ब्रजबाला

ब्रजबाला.....

कान्हा ने पकङा रंग डाला।


और शुरू हुई बरसाने की

मीठी लङाई वाली होली

जिसे कहे सब लठमार होली।


ये रंग बिरंगी होली

हैं प्यार के रंगो की होली।


ललिता राधा से बोल रही

आयी री सखी रंग बिरंगी होली।


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