आजा सखी
आजा सखी

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आजा सखी
देख आया रंगो का त्योहार,
बिखरी है रंगो की बहार
आजा बनाये अपनी टोली
आजा सखी....
सजायी है तेरे लिए थाली
रखे हैं तरह तरह के पकवान
आज खाये गुझिया और पकौड़ी
आजा सखी....
आज ना छोड़ेंगे
जो हैं मेम गौरी गौरी
करेगें उनको रंग बिरंगी
आजा सखी...
झूमेगें नाचेंगे
करेगें पूरी मस्ती
दूर छोङेगे सब परेशानी
आजा सखी....
सब मिलेगें जुलेंगे
जो हैं रूठे
उनको भी मनायेंगे
करेगे दूर सब गिले शिकवे
आजा सखी
देख आया रंगो का त्योहार
बिखरी हैं रंगो की बहार...
दूर हो नफरत की दीवार
बस फैले प्यार ही प्यार।