असुरक्षित बेटी
असुरक्षित बेटी
आज फिर से,
आत्मा से चीत्कार उठी,
अगर ऐसे ही होगा,
तो अब नहीं जन्मेंगी बेटी।
दुनिया में नहीं आने देंगे,
कोख में ही,
बेटी को मार देंगे,
क्या करेंगे जन्म देकर,
जब तड़प तड़प कर,
उसे मरना ही होगा।
इससे अच्छा तो,
भ्रूण हत्या का दर्द सहना होगा।
अगर ऐसे रहा तो,
कन्या भ्रूण हत्या बढ़ जाएगी।
अब कोई भी मां,
बेटी नहीं जन्माएगी।
जिनकी है पहले से बेटियां,
वह सोच सोच कर,
पागल हो जाएंगी।
क्या होगा मेरी बेटी का,
यह कैसे आगे बढ़ पाएगी।
शायद अब,
हमें ही कुछ करना होगा।
बेटी को मोबाइल की जगह,
रिवाल्वर देना होगा।
चूल्हा चौका छोड़कर,
जूडो कराटे सिखाना होगा।
यह मत सोचिए,
यह बेटी है,
इसे दूसरे घर जाना होगा।
हम सभी,
मांओं को मिलकर,
यह बदलाव अपनाना होगा।