वोट की राजनीति
वोट की राजनीति
वही चेहरे है,
वही लोग है
सब क्या .? सिद्ध कर जाते हैं
हर बार या कहू बार-बार
क्यूँ .........?
वोट घर -घर जा के मांगते है
क्या इन को अपने ही,
काम पर नही भरोसा
यह लोगों को,
क्या कर के जता रहे है
समझ से परे है कि, यह सब कर
घर-घर जा के यह कौन -सा
विश्वास जगा रहे है
क्यूँ .........?
वोट घर -घर जा के मांगते हैं
एक तमाशा -सा बना दिया है, चुनाव को
कहीं जिंदगी एक पैसे से भी सस्ती है
और कहीं पार्टीया बहा देती है, करोड़ो ही
यह हमारे समाज की, कौन -सी सभ्यता है
यह सब करके हम देश को किस गर्त में ले जाए गे
क्या सिर्फ वोट, पार्टीबाजी तक ही रह जाएंगे।
क्यूँ..........हम
सोच बदले, देश के भविष्य के लिए,
इस नौटंकी को बदले
हम काम करेंगे
हम काम करके दिखायेंगे
हम निर्माता बनेंगे, निर्माता बनायेंगे
भीख की राजनीति नहीं अपनायेंगे।
