STORYMIRROR

Mamta Singh Devaa

Tragedy Crime

4  

Mamta Singh Devaa

Tragedy Crime

परी/कन्या बलि

परी/कन्या बलि

1 min
430

तुमसे क्या कहा मैंने

लगता है सुना नही

अब इस घर में कभी 

कन्या पैदा होगी नहीं,


नही - नही कृपा करो

मेरी इतनी अरज सुनो

परी है ये इसने रूप ले लिया है

भगवान से कुछ तो डरो,


किसी की नही मुझे सुनना है

होगा वही जो मैं कहूँ

मुँह बंद करके रख अपना

आगे से गिनती बेटे की गिनना है,


डाक्टर ने मूर्छित किया 

चार महीने की जान को

बेदर्द हो बेदर्दी से

परी को मारने का निर्णय लिया,


उठा औजार हत्या की खातिर

पहले नन्हे दोनों हाथ काटे

फिर बारी आई पैरों की

टुकड़े करने में नही डरे शातिर,


छिन्न - भिन्न कर दिया नन्ही परी को

एक - एक कर अंग निकाले

बिना हाथ - पैर का धड़ निकाला

नोच कर रख दिया परी को,


फिर ट्रे में उसको डाल कर

हैवान रूपी बाप को

दे दिया उसी के हाथ में

हत्यारे ने हलाल कर,


जरा नही घबराया वो

उन टुकड़ों को देख कर 

देकर नर्स के हाथ में नोट

खा़क नही शर्माया वो,


झोले में भर लिया परी के लोथड़ों को

हाथ नही काँपे उसके

दरिंदगी की दिखा पराकाष्ठा

बोला फेंक दो चिथड़ों को,


बहुत खुश था बला टली

अब आयेगा घर का चिराग

अगर फिर आई लड़की के रूप में परी तो 

हर बार दूंगा मैं ऐसे ही बलि।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy