STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Crime Thriller

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Crime Thriller

हरा रंग

हरा रंग

1 min
255

लहलहाती जब फसल,

मन में उठती इक उमंग।

चहुं ओर हरियाली हो,

मन में उभरे अजब रंग।।


पेड़ पौधों का है संसार,

अजूबा और लगे प्यारा।

उन्नति का द्योतक बनता,

हरा रंग इक ध्वज हमारा।।


घास फूस लगते यूं हरे,

पंछी बैठे मिले डरे डरे।

पशु कितने घूम रहे हैं,

अच्छी घास को वो चरे।।


हरा रंग आंखों को प्रिय,

सुग्राही बनती जन आंखें।

जब बारिश नहीं होती है,

बस धूल ही धूल फांके।।


हरी भरी हो धरती प्यारी,

धान उपजे खूब हमारी।

लोगों के दर्द दूर कर दे,

निष्ठुर मिले आदत हमारी।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime