STORYMIRROR

Vikash Kumar

Crime Drama

4  

Vikash Kumar

Crime Drama

मूक प्रश्न

मूक प्रश्न

1 min
27.6K


यह कविता तब उत्पन्न होती है जब स्त्रियॉं पर अत्याचार नहीं रुकता, मनुष्य के पास इन सब चीजों का कोई जवाब नहीं रहता, तब जो दिल में एक वेदना उतप्न्न होती है, उससे एक कविता जन्म लेती है :-


वेदों ने, पुराणो ने,

गीता ने, कुरानों ने,

रामायण की चौपाइयों ने,

कविता के छंदों ने,

गजलों की बहरों ने,

या बाइबिल के पदों ने,

मैनें, तुमने,उसने, सबने,

माना है, कि तू है,

तू सब जगह है।


फिर भी पूछता हूँ,

तुझसे,

और हाँ यदि ये दुस्साहस है,

तो ये दुस्साहस भी आज मैं करता हूँ,

तेरे सामने तेरे होने की चुनौती,

मैं पेश करता हूँ,

तो सुन-

क्या तू उस जगह भी होता है,

जब कोई वहशी नोचता है,

कुतरता है,

लोथड़ों कोपपोरता है,

क्या जब इंसान ही,

इंसान होकर, एक इंसान को,

उसकी जाति मजहब लिंग रंग,

देश प्रदेशों, से तोलता है।


इंसान ही इंसान की अस्मिता से,

खेलता है, खूँ बहाता है,

मासूमों का-

क्या होता है, तू वहाँ ?


या कचोट ली जाती है,

एक अबोध, मासूम,

मन्दिर में, मस्जिद में,

तेरे ही, आंगन में,

तो तू क्यों,

तमाशबीन हो जाता है,

तू है, कैसे कहूँ,

तू होता है,

सब जगह-

जल में, थल में,

नभ में, जर्रे जर्रे में,

या जीव, चराचर में,

तू है ? तू है।


तो उठा सुदर्शन,

गदा उठा, प्रत्यंचा चढ़ा,

कर संहार, हो उद्धार,

या बन जा बुद्ध, कर सब शुद्ध,

ना हो प्रताड़ित, जग में ताड़ित,

कोई अबोध, तू है ?

तू यदि है ? तू है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime