जिंदगी का वो पल
जिंदगी का वो पल
अंधेरा मुझे सताता है
उस ख़ौफ को फिर जगाता है
थम जाती हैं साँस मेरी
जब याद वो दिन आता है
किसी की आँखों का लाल रंग मुझे डराता है
किसी का स्पर्श मुझे रुलाता है
सहम जाती है धडकनें मेरी
जब याद वो पल आता है
जमाना भूूल जानेे को कहता है
फिर बातों बातों में याद दिलाता है
अश्क बहाता है ये दिल मेरा
जब याद वो कल आता है
जमाना उन्हें माफ़ कर देता है
दिल अकेले में रोता है
धडकनें फिर सहम जाती है मेरी
जब याद वो दिन आता है
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होंठो की मुस्कान को ले जाता है
आखों में आंसू भर आता है
सब हंसते हैं मन रोता है मेेरा
जब याद वो पल आता है
जिंदगी को बेरंंग दिखलाता है
न प्यार कहीं से दिल पाता है
ज़हन सुनता हजारों बात जमाने की
मगर कभी न वो कल भूला पाता है
आखों को मेरी झुकाता है
दिल मे वो डर फिर आता है
लज्जा रागों में भागती है मेरी
जब वो बेरहम मेरे सामने आता है
खुशियों में कलंक बन जाता है
सब कुछ दूर मुझसे जाता है
ज़हन भी अब सहम गया मेरा
अब कभी न वो ख़ौफ दूँ जाता है।