STORYMIRROR

Bhawna Vishal

Tragedy Crime

4  

Bhawna Vishal

Tragedy Crime

हाथरस, मानव और सामूहिकता

हाथरस, मानव और सामूहिकता

1 min
337

अब लगता है

अपने चरम पर है

तथाकथित मानवों की

तथाकथित सभ्यता

और चरम पर है


सामूहिकता,

वृक्षों कंदराओं में

रहने वाला मानव

आज सामूहिक प्रयासों से

आ पहुंचा है,

एक नवीन युग में


जहां सब सामूहिक है,

सामूहिक हत्याकांड,

सामूहिक दुष्कर्म

और सामूहिक बलात्कार

सामूहिकता के इस शिखर से

अब स्पष्ट दीखता है,


विध्वंस का अंतहीन गर्त,

जिसमें अब कभी भी

गिर कर गुम हो जायेगी

मानव की

सभी मर्यादाएं,

सुख, आशाएं

और बाकी रह जायेगा


कुत्सित, कुंठित,

मृत संवेदनाओं/ मनःस्थितियों

का एक बड़ा सा

बदबूदार ढेर !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy