फागुन
फागुन
फागुन
जिद्दी बच्चे के जैसे
रंग भरी-दुपहरी तक
खेलता है,
लगा के नाम होली का
बीच बाजार,सरेराह ठेलता है
और जो ना मानू तो
मारे चिढ के
भर भर उदासियां
मुझपे उड़ेलता है।
फागुन
जिद्दी बच्चे के जैसे
रंग भरी-दुपहरी तक
खेलता है,
लगा के नाम होली का
बीच बाजार,सरेराह ठेलता है
और जो ना मानू तो
मारे चिढ के
भर भर उदासियां
मुझपे उड़ेलता है।