Bhawna Vishal
Tragedy
संसार भर की
पीड़ाओं को
अवगुंठन में धकेल के,
दात्री के
अधिकारों को पीछे ठेल के,
वचनो की प्रवंचनाएं
भर भर मुख उड़ेलते हो,
वाह रे ,मनु की संतानों!
ये ढोंग दिवस वाले
बड़ी भली भाँति तुम खेलते हो।
कोरोना को हरा...
बेटी
प्रेम....दिल ...
फागुन
तुम बिन ना हो...
' पाखंड '
पीड़ा
हाथरस, मानव औ...
आओ दीप जलायें
अंतर्दर्शन
शायद किसी गलतफहमी ने हमारे रिश्ते में जगह बनाई, इसलिए ही इस रिश्ते की टूटने की आज यूँ शायद किसी गलतफहमी ने हमारे रिश्ते में जगह बनाई, इसलिए ही इस रिश्ते की टूटने की ...
बढ़ता प्लास्टिक का प्रयोग, बढ़ता प्रदूषण, बढ़ता तापमान और करता आकृष्ट सबका ध्यान, बढ़ता प्लास्टिक का प्रयोग, बढ़ता प्रदूषण, बढ़ता तापमान और करता आकृष्ट सबका ध्यान...
धीरे-धीरे रिसता है टीसता रहता है उम्र भर ये ज़ख्म ! धीरे-धीरे रिसता है टीसता रहता है उम्र भर ये ज़ख्म !
भीड़ में कोई अपना नहीं कोने में खड़ी चुप बेबसी। भीड़ में कोई अपना नहीं कोने में खड़ी चुप बेबसी।
मजाक उड़ाया जज्बातों का जब आई वफ़ा निभाने की बारी। मजाक उड़ाया जज्बातों का जब आई वफ़ा निभाने की बारी।
लगता है कि तूफान कोई फि रसे आनेका अंदेशा है। लगता है कि तूफान कोई फि रसे आनेका अंदेशा है।
हंस रहे हैं लव लेकिन दिल धधक रहा है ये क्या करूं 'अरुण'अब मैं मन बहुत अकेला है। हंस रहे हैं लव लेकिन दिल धधक रहा है ये क्या करूं 'अरुण'अब मैं मन बहुत अकेला ह...
साथ में होकार अजनबी सी राह थी जिंदगी मिलके बिसर चली भूल को। साथ में होकार अजनबी सी राह थी जिंदगी मिलके बिसर चली भूल को।
सारी उम्र खरीदते खरीदते मेरे मन का मकान भर गया। सारी उम्र खरीदते खरीदते मेरे मन का मकान भर गया।
अब तो भगवान भी सोचता है कि मैंने क्यों दुनिया को तबाह किया। अब तो भगवान भी सोचता है कि मैंने क्यों दुनिया को तबाह किया।
मजदूरों की भी बड़ी है मजबूरी यहां पर, कोरोना ने फैलाया है अपना कहर धरा पर, मजदूरों की भी बड़ी है मजबूरी यहां पर, कोरोना ने फैलाया है अपना कहर धरा पर,
ख्वाबों सा सुंदर राजकुमार तू उड़ जाना उसके संग ख्वाबों सा सुंदर राजकुमार तू उड़ जाना उसके संग
और बिना कोई बोझ लिए साँसों पर चैन से जीते हैं। और बिना कोई बोझ लिए साँसों पर चैन से जीते हैं।
जीवनचक्र की पहिया चलती जाए, भाग्य की रेखा बदलती जाए। जीवनचक्र की पहिया चलती जाए, भाग्य की रेखा बदलती जाए।
वो रात कैसे भूलूँ..? पता नहीं। वो रात कैसे भूलूँ..? पता नहीं।
इक धरा को सींचने की है तमन्ना तुमको यूं सींचते हो खून से ये किस तरह की धुन चढ़ी. इक धरा को सींचने की है तमन्ना तुमको यूं सींचते हो खून से ये किस तरह की धुन चढ़...
स्वर्णिम भविष्य की चाह में ' नालन्दा' बद से बदतर हालात में पहुंचाए गए। स्वर्णिम भविष्य की चाह में ' नालन्दा' बद से बदतर हालात में पहुंचाए गए।
रातों में जैसे एक चिता सी जलने लगी है। रातों में जैसे एक चिता सी जलने लगी है।
जैसे कभी-कभी गायब हो जाता है वो आसमान का चाँद। जैसे कभी-कभी गायब हो जाता है वो आसमान का चाँद।
बची गई तू गर्भपात से सुरक्षित रही तू गर्भ में. बची गई तू गर्भपात से सुरक्षित रही तू गर्भ में.