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Bhawna Vishal

Tragedy

4  

Bhawna Vishal

Tragedy

' पाखंड '

' पाखंड '

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संसार भर की

पीड़ाओं को

अवगुंठन में धकेल के,


संसार भर की

दात्री के

अधिकारों को पीछे ठेल के,


वचनो की प्रवंचनाएं 

भर भर मुख उड़ेलते हो,


वाह रे ,मनु की संतानों!

ये ढोंग दिवस वाले

बड़ी भली भाँति तुम खेलते हो।



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