आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
विपदा के क्षण में, इस घोर रण में
हो धीर हम, गंभीर हम
दृढ़ संकल्प जन-जन में भरे
एक दीप ज्योति आहूत करें
है सघन तम, भयकारी भ्रम
हो कर निडर, इस तिमिर पर,
सौ सूर्य आशा के धरे
एक दीप ज्योति आहूत करें
है युद्ध यह,और यज्ञ भी
है धर्म भी, कर्तव्य भी
हो जाति-पाति से परे
एक दीप ज्योति आहूत करें