तुम बिन ना होली खेली मैं
तुम बिन ना होली खेली मैं
फागुन के सुमधुर गान पे, थिरकूं क्या निपट अकेली मैं
तुम बिन ना होली खेली मैं।
रंग डाल मन, मल के अंग अंग नाचूँ में तेरी ताल पिया
रंग बरसे अबकी साल पिया।
पट खोलूं मैं झट खोलूं , तू नैनों से दे आवाज सजन
तज आऊंगी सब लाज सजन।
तुझको देखूं, सुधि खो देखूं, तेरी छवि पे वारे प्राण पिया
तेरी प्रीत प्राण को त्राण पिया।
मैं दीनहीन, चित्त पी में लीन, ना मुझको जग से काम कोई
मेरो ना दूजो शाम कोई।

