मन को बहुत डराता है
मन को बहुत डराता है
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मेरे देश की एक समस्या
मुझको हर दिन बहुत डराती है
कब होंगी सुरक्षित इस देश की बेटियाँ
ये सवाल हर दिन
मन के कोने में चोट करता है
कब तक निर्भया, श्रधा
और ना जाने कितनी बेटियाँ
धोख़े और हवस का शिकार बनेंगी
कभी सुरक्षित हो कर वो
मन मर्जी से घर से बाहर आया - जाया करेगी
साथ किसी का उनको
ना आवश्यक होगा
माता पिता भी बेफिक्र हो कर
राहत की सांस लेंगे
कौन करेगा वादा ये
बेटी का दामन पाक रहेगा
धोख़े से कोई उसके
अभिमान पर अब ना चोट करेगा
रहे सलामत उसकी अस्मिता
इस देश में ऐसा कानून बनेगा
कोई भी बेटी ना अब
हवस और धोख़े की भेट चढ़ेगी
तब मन से डर निकलेगा
और स्वतंत्र और निर्भय हो कर वो घूमेंगी।