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Rajiv Jiya Kumar

Crime Others

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Rajiv Jiya Kumar

Crime Others

चार जून की बात है।==========

चार जून की बात है।==========

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चार जून की बात है

उसमें भी कुछ घात है

कौन बनेगा समय का साहु

या बन छाएगा कोई राहू

अजीब झंझावात है

चार जून की बात है।।

हर जी पलता प्रतिघात है

सृष्टि पर यह कैसा आघात है

मिलनी चाहिए हर कथ्य तथ्य 

नहीं तो गैर तुम चाहे काहु

बिन वार गजब वारदात है

चार जून की बात है।।

कराह कहाँ सुनना निर्वात है

मानव चीख बनी दावात है

न कोई मोल अब बहे तो लाहू 

बिखर रहा तम फैला त्रिबाहू

न हो बखान वह करामात है

चार जून की बात है।।

     


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