बेटियाँ
बेटियाँ
दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं,
जो न कर पाएं बेटियाँ।
हौंसला दो! वक्त दो ! फिर देखो,
क्या कर जाएं बेटियाँ।
पर्वतों के भी शिखर पर
चढ़ रहीं हैं बेटियाँ।
नित नए आयाम को भी
गढ़ रहीं हैं बेटियाँ।
अब तो चौकीदार के है
हाथ में सत्ता यहां,
फिर भी देहरी पार करने से
डर रहीं हैं बेटियाँ।
मान गर मिलता है बेटी को
भला इस देश में,
फिर भला क्यों कोख में
ये मर रहीं हैं बेटियां।
