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PK PANCHAL

Abstract Tragedy Others

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PK PANCHAL

Abstract Tragedy Others

नींद सुकूं से आती होगी तुमको भी न रातों में

नींद सुकूं से आती होगी तुमको भी न रातों में

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अब तो ज़ाया होता नहीं है वक्त हमारी बातों में,

नींद सुकूं से आती होगी अब तुमको भी न रातों में।


 संग में देखे थे जो सपने 

 वे सपने सारे चूर हुए।

 मिलते–मिलते तुमसे जानम 

 देखो कितने दूर हुए।।


अब एकल बैठा देख रहा हूं जल बूंदें बरसातों में,

नींद सुकूं से आती होगी अब तुमको भी न रातों में।


सोच रहा है दिल मेरा तुम 

जानें कैसे हाल पे होगी।

रोती धोती होगी या कि 

भूखों की हड़ताल पे होगी।।


सारे किस्से हल थे लेकिन उलझे हम बस जातों में,

नींद सुकूं से आती होगी अब तुमको भी न रातों में।



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