हम नहीं आते तुम्हारे दायरे में
हम नहीं आते तुम्हारे दायरे में
हैं लगे सब लोग पासे फेंकने में।
क्या मिला तुमको मिरा दिल तोड़ने में।
काश होता ये पता तू बेवफ़ा है,
हो गई गलती तुझे पहचानने में।
गर सताना चाहते तुम तो सता लो,
चल बसूं मैं कब किसी दिन हादसे में।
जात मज़हब ये सियासी दायरे हैं,
हम नहीं आते तुम्हारे दायरे में।
एक धोखा और खाया इश्क में, तो
कुछ इज़ाफा ही हुआ है तजरिबे में।
ये अकेला ही मुहब्बत खेल ऐसा,
है मजा आता सभी को हारने में।
हो चुका हूं अब किसी का, क्योंकि तूने
देर कर दी हाथ मेरा थामने में।
वो गया जब छोड़ कर तन्हा मुझे तो
कट रही है जिंदगी फिर भी मज़े में।
दे गया था वो कभी पानी शजर को,
पत्तियां आने लगी हैं अब तने में।
है टिका सारा जहां ये प्यार पर ही,
मत अड़ाओ टांग इसके मसअले में।
है नहीं अंदाज़ तुमको ताकतों का,
फ़र्क करना सीख लो अच्छे बुरे में।
