ग़ज़ल
ग़ज़ल
जिस तरह से हैं चमकते ये सितारे आसमां में,
इस तरह से नाम को रोशन करेंगे हम जहां में।
खूबसूरत है बदन पर एक दिन मिट्टी बनेगा,
आप तो फिर आप हैं आप हैं फिर किस गुमां में।
पास हूं तो कद्र करना सीख लो साहब! वगरना,
खोजते रहना मुझे फिर तुम किसी दिन दास्तां में।
बोलते हैं जब कभी हम गौर से सुनते सभी हैं,
लग रहा है यूं हमें मिसरी घुली उर्दू ज़ुबां में।