पंछी
पंछी
अटल इरादे हो कभी,
हल हो मुश्किल काम।
दिन आता ढल जाएगा,
आए वो सुहानी शाम।।
बिना थके पूर्ण करते,
धरा पर अपने काम।
देर सवेर मिल जाए,
उनको अपना धाम।।
नीड़ पर बैठे जीव हैं,
चढ़ते जाए बच्चे चार।
पतंग सुहानी कब कटे,
तब तक मानो न हार।।
पेड़ों को काट दिया है,
बचे नहीं कोई भी ठौर ।
सूख जाएगा जीवन तेरा,
सांझ मिले नहीं हो भोर।।
अंतिम उद्देश्य एक जन,
पाना होता अंतिम छोर।
खूब घमंड कर ले सदा,
कहलाएगा पापी घोर।।