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Kajal Raturi

Tragedy Action Crime

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Kajal Raturi

Tragedy Action Crime

क्रूरता!!!!

क्रूरता!!!!

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स्पन्दित हो उठी फिर अंतरात्मा भी आज,

नोचा था तन और तोड़ा था स्वाभिमान।

अर्धनग्न बताकर नारियों की अस्मिता को तोड़ते,

यह किस्सा तो मासूम का था, बोलो अब क्या बोलते ?


किस्सा तुम्हारे लिए, उसके लिए हादसा !

चार वर्षीया बाला के पास न था कोई रास्ता। 

देर रात्रि निकले यदि लड़की तो होते हैं बलात्कार,

यह घटना तो दिन की थी, बोलो अब क्या बोलते सामाज ?


सुनने में आया, जननी -जन्म भूमि स्वर्ग से महान हैं !

किंतु इसी स्वर्ग रूपी धरा पर होते, अपराध हैं। 

डरती हैं लड़कियाँ, अकेले घर से बाहर जाने में, 

और द्वंद्व करते रहो तुम, जात- पात को बचाने में !


ज़माना हैं खराब , यह कहकर लड़कियों को रोकते, 

इज्जत करो बहु- बेटियों की, ऐसा क्यूँ नहीं अपने लाल को हो बोलते?

रोता हैं चित्त मेरा, देख के इस दोगले समाज को ,

आज स्वयं से फिर प्रश्न हैं , क्या करें ऐसा रोकने के लिए इस अपराध को ?


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