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Kajal Raturi

Abstract

4.5  

Kajal Raturi

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मातृ महिमामंडन

मातृ महिमामंडन

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की तेरे लिए क्या लिखूँ मैं माँ,

तुझ पर तो पूरे मकान को घर बनाने का भार है।


तू ही तो इस पूर्ण जीवन का आधार है,

कविता यदि मैं, तो उसका सम्पूर्ण तू सार है।


बालक मैं अबोध- सा, मुझको समझाने की एक मात्र तू आस है,

बाकी सब तो व्यर्थ है माँ, तेरी ममता निश्चितः निःस्वार्थ है।


पिता जी के क्रोध से बचाने का हल सदैव तुम्हारे पास है,

नौ माह गर्भ में रखा, वो बल केवल तुम्हारे पास है।


मात्र कुछ शब्दों में महिमा मंडन कर सकूँ तेरा वो मेरे सामर्थ्य से बाहर है,

इस धरा पर सम्पूर्ण मनुष्य जीवन का तू आधार है।


की तेरे लिए क्या लिखूँ मैं माँ,

तुझ पर तो पूरे मकान को घर बनाने का भार है।


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