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Kajal Raturi

Inspirational

4.8  

Kajal Raturi

Inspirational

आत्महत्या अन्तिम विकल्प नहीं !

आत्महत्या अन्तिम विकल्प नहीं !

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वक्त-ए- हालात और दौर था ऐसा,

सोता था भूखा और ना जेबों में पैसा।

आँखों से समंदर दिल से दरिया है बहता,

कर दूँ कत्ल-ए- आम खुद का ऐसा मैं कहता।


उस काली सी रात में मैं रोया जरूर था,

सर्द हवाओं ने यूँ तोड़ा गुरूर था।

हालातों से अपने यूँ बेपनाह मजबूर था,

पागल बनके कर रहा खुद को ही खुद से दूर था।


आई आवाज़ मानो जो मुझे अपनी ओर ज़ोर से खींचे,

कहती तेरे लिए पिता जी ने बहा दिए अपने पसीने।

तू यूँ हारेगा तो ऐसे कैसे चलेगा?

रख ऐतबार खुद पर, तू भी जरूर एक दिन बड़ा बनेगा।


मुड़कर देखा पीछे तो कोई ना खड़ा था,

लगता है आज मेरा दिल मुझसे खुद ही लड़ा था।

किया खुद से ही सवाल किस मुश्किल में पड़ा हूँ,

जो आज इस मोड़ पर मैं आ कर अड़ा हूँ?


खाना बनाना शौक मेरा लेकिन पिता जी ने बी.टेक करायी,

सोचा इंजीनियर बनेंगे साहब करेंगे तगड़ी कमाई । 

बस और ना होता अब कैसे दूँ मैं उनको सफाई,

अपने पैशन को ही फाॅलो करना मेरी सबसे बड़ी लड़ाई।


फिर दिल ने कहा तू

अपने घर का चिराग है,

ना बुझने देना अपने अंदर की ये जो आग है।

मानता हूँ बेटा होने के कारण तेरे ऊपर काफ़ी बोझ है,

लेकिन यकीन कर उनकी मुस्कराहटों में तेरी हिस्सेदारी रोज है।


उसने कहा अगर कुछ कर दिखाने का ही जुनून है,

तो चुन फिर वही राह जिस में मिले तुझे खुशी और सुकून है।

खुदकुशी ही आखिरी विकल्प ना होता,

हिम्मत कर और कह पिता जी से तुझसे ये सब और ना होता।


बोला यूँ दिल मेरा वापस तू लौट के जा,

मत गौर कर समाज का,कुछ करके दिखा।

घर गया, कहा पिता जी अब और ना होता,

पापा ने कहा दो साल का है वक्त, जा कर ले जो भी तुझसे होता।


निकला मैं घर से सपने को हकीकत बनाने में,

लगा दी पूरी जान कुछ करके दिखाने में।

मेहनत से आज मेरे खुद के बड़े रेस्टोरेंट बने है,

लोगों के प्यार से वो दिन- रात चले है।


अब समझ में आया आत्महत्या अंतिम विकल्प न होता,

लगन से करे कोई काम तो वो सफल हैं होता।

उतार- चढ़ाव तो इस जिंदगी के खेल है,

बस करता हूँ बन्द अब अपने शब्दों का ये जेल मैं।


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