दुर्दशा
दुर्दशा
दूर दूर तक
शौक़ से देखो
दुनिया की दुर्दशा
स्वार्थी लोगों के रवैये से
सृष्टि का कौना कौना उजाड़ दिया
बेज़ुबान जानवरों का हक़ छीन लिया
कहा ढूढ़ें स्नेह-करुणा-संवेदना का झरना
यहां मानुष का हृदय हुआ इतना पाषाण।
