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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy Crime Thriller

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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy Crime Thriller

आज कल रिश्वतखोरी

आज कल रिश्वतखोरी

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आज कल रिश्वतखोरी जोरो पर है अपने 

ही घर में, अपनों की चोरी हरामखोरों पर है। 


जहां बन्द आँखें खोलों लुट मची है, जितनी 

रुपयों की उतनी ही जिस्मों की भूख बची है। 


कौन काले से गोरा बनकर तुम्हें लुट लेगा 

अगर समझ नहीं तुमको अरे झूठ बची है। 


आज बेईमान भी ना जाने कितने हथकंड़े है 

सिर्फ शरिफों को पता तेरे कितने काले धंधे है। 


बचकर दिखाओं सिर्फ मुझसे ही तो मानू, 

मेरे बाद तो तुमको पड़ने वाले लाखों डंडे है। 


समझ गए हो शार्गिद तो बहुत अच्छी बात, 

नहीं समझें तुम तो तुम्हारी नहीं ये भी औकात। 


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