ये कैसा कानून हैं
ये कैसा कानून हैं
कहीं कानून के खिलाफ रहकर लोग
सबूत और लाश तक जला देते हैं
कहीं कानून के दायरे में रहने वाले लोग
रातों-रात इंसाफ नहीं दिला पाते
कहीं कानून के खिलाफ जुर्म करके
लोग खुलेआम घूमते रहते हैं और
कहीं कानून के दायरे में रहने वाले
लोगों को दबा कर रख दिया जाता हैं
कहीं कानून के खिलाफ जाकर लोग
जुर्म पर जुर्म करके हाथ रंगे जाते हैं
कहीं कानून के दायरे में रहने वाले लोग
बस हाथ पर हाथ धर बैठे रह जाते हैं
कैसा कानून है जहाँ खिलाफ जाने वाला
किसी बलबूते आसानी से बच जाता है
और कानून के साथ रहनेवाला जिंदगी भर
इंसाफ का मुंह ताकता रह जाता है
कहीं कानून में इंसाफ मांगते माँगते
पीड़ितों की तो पूरी उम्र बीत जाती हैं
और कहीं जुर्म करने वाले दोषियों की
मनमानियाँ बढ़ती ही जाती हैं।
