मतदान
मतदान
सियासत के गलियारों में
हलचल तेज होने लगा
देखो यारों! शायद फिर
मतदान कहीं पर होने लगा।
अब एक से बढ़कर एक हरिश्चंद्र
बिकने को आतुर होंगे
दानी कर्ण कहीं शिविर में
दान को तौल रहे होंगे
महाधनानंद ताल ठोककर
अब होगा न्याय, चिल्लाने लगा
देखो यारों! शायद फिर
मतदान कहीं पर होने लगा।
एक झुण्ड सब हुए हैं शासक
फंस ना जाए योगी षड्यंत्रों में
संन्यासी चला गठबन्धन करने
चुनाव के शुभ मुहूरत में
पीड़िता-बलात्कारी आपस में
घर अपना साझा करने लगे
देखो यारों! शायद फिर
मतदान कहीं पर होने लगा।
शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा की
नहीं बात कहीं कोई करते हैं
रोजगार नहीं है हाथों को
जाने क्यों फेंकू इतराते हैं?
अपनी शेख़ी आप बघारे
अंधों को चश्मा पहनाने लगा
देखो यारों! शायद फिर
मतदान कहीं पर होने लगा।