STORYMIRROR

R. R. Jha (RANJAN)

Abstract Tragedy Inspirational

4  

R. R. Jha (RANJAN)

Abstract Tragedy Inspirational

मानस यज्ञ

मानस यज्ञ

1 min
412

जब सत्ता निरंकुश हो जाए

शासक व्यसनों में लिप्त रहे

तब होता है ज़रूरी जनता को

हित राष्ट्र में स्वयं बलिदान करें

जहाँ शोषक फिर से ना पनपे

अभिमान नहीं अपमान करें

देकर लहू का हर कतरा

एक आदर्श राष्ट्र निर्माण करें।

 

जब हाट गरम हों अफ़वाहों के

जब शहर से जन पलायन हों

जब राजनीति हों लाशों पर

जब कलमकार पक्षपाती हो

तब समझना ये आवश्यक है

सत्ता का षड्यंत्र चरम पर है

फिर स्वकर्तव्य की आहुति दे

एक जन-नायक आह्वान करें।

 

जहाँ जनता लोभी हो जाए

जहाँ ख़ून बहे निर्दोषों के

उस राष्ट्र का फलना असंभव है

जहाँ चोट हो बेटियों के मन पे

तब युद्ध अति आवश्यक है

जब न्यायक, अन्यायी हो जाए

तब कलम को यज्ञाहुति बना

एक कालिका यज्ञ संधान करें।

 

जहाँ मुजरिम नियम निर्माता हो

संवेदन हीन हो न्याय की कुर्सी पर

जहाँ बलात्कारी उपदेशक हो

छलिया हो राष्ट्रभक्ति पथ पर

जहाँ शोषण हो धर्म व्यापारी का

रिश्वतखोर करें विधि का रक्षण

तब हर बाग़ी को ज़रूरी है

ख़ुद में चन्द्रशेखर निर्माण करें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract