तू क्यों उदास है
तू क्यों उदास है
क्या हुआ तू क्यों उदास है
तुझ में भी है रूह ये तुझे भी एहसास है।
देख नजरें उठाकर
ये प्रकृति भी तेरे साथ है।
जिसे तू समझती है गलती
समाज द्वारा बनाई खोखली रीति रिवाज है।
सर उठा, सामना कर
क्योंकि तुम में भी स्वाभिमान है।
तू खुद है प्रकृति ,तुझ में है प्रकृति समाई
तेरे ही द्वारा सिंचित होकर
यह प्रकृति नए कलेवर में आई
तो फिर क्यों तू इतना उदास है।
तू कर महसूस तुममें ही ईश्वरीय वास है
तो मुस्कुरा आगे बढ़
क्योंकि तुझे नहीं मंजिल को तेरी तलाश है।
