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RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Inspirational

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RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Inspirational

सीता की अग्नि परीक्षा कब-तक

सीता की अग्नि परीक्षा कब-तक

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हे! नारी तुम,

नर के अधीन नहीं,

इस आज़ाद देश में

तुम्हारा अलग भेष नहीं

तुम्हें तो विश्वास है

अब जगी आस है

सहनशीलता का भंडार हो

स्वाभिमान हो

किसी के कटाक्ष से

विचलित क्यों..?


हे! नारी तुम,

नर के साथ-साथ हो

भावना का आदर हो

त्याग का उदाहरण हो

ममता का आधार हो

करुणा का सागर हो

सृष्टि का रचना हो

लोगों की अर्चना हो

जीवन की कल्पना हो

किसी के कह देने से

विचलित क्यों....?


हे! नारी तुम,

नर का मान-सम्मान हो

जन-जन का अरमान हो

कूल-खानदान में पहचान हो

पवित्रता का इम्तिहान हो

अपने आप में अलग पहचान हो 

आज सर्वगुण संपन्न हो तुम

फिर, अग्नि परीक्षा क्यो ?



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