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Shubham Mishra

Inspirational

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Shubham Mishra

Inspirational

नई शुरुआत, नए आप

नई शुरुआत, नए आप

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संदर्भित सारी श्रेष्ठता, विवरित हर अभिशाप।

मन के जीते सुख मिले,मन के हारे सन्ताप।

मन के पक्षपात को तब ही मिल पाता इंसाफ़।

तज पूर्वग्लानी व पुरा-स्वम जब हो,नई शुरुआत,नए आप।1।


झुलसे अतीत की रीढ़ कँपाने,आता है ये शीतधाम

मानो तो ताप से रोशनी, मानो तो कुहरे में आराम

जो इतना तुमने माना है तो एक और लो मेरी मान

जो पूरे हो उन्हें सत्य कहो जो अधूरे हो उन्हें ख्वाब

हर क्षण से मथलोगे अच्छाई,जब हो,नई शुरुआत, नए आप।2।


जैसे तुमने फेंके कागज़ को बचपन में आसमान दिया था

सड़क पड़े माटी को रचके मन्दिर का भगवान किया था

वैसे ही हर उपलब्धि-दुलत्ती का रखके बुद्धिमानी से माप

फिर नये प्रयास से हो जाए नई शुरुआत, नए आप।3। 


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