संयम
संयम
संयम मन में रख सदा, यही जीत का राज।
धीरज से है बन रहे,सारे बिगड़े काज।।
उर में धैर्य जब रहे, खिलते आशा फूल।
मंजिल संयम से मिले, बात गूढ़ मत भूल।।
धरती जैसा गुण रखो, पर्वत जैसी धीर।
सरिता संयम धारिणी, देती मीठा नीर।।
संयम धर लो भावना, होगी सुख की भोर।
विचलित होने से सदा,उपजे दुख चहुँओर।।
मानव संयम कर सदा, मिटे पाप का दोष।
चाहे बाधा हो गहन,करो कभी मत रोष।।