इंसानियत जिन्दा हैं
इंसानियत जिन्दा हैं
होते हैं कुछ रहमदिल इंसान, इंसानों की बस्ती में,
मिल जाते हैं कुछ ख़ुदा के बन्दे, बदनामों की गली में।
इंसां का इंसानियत के प्रति मोहब्बत का खुशनुमा मंज़र हैं,
क्योंकि आजकल इंसान ही इंसान के सीने में घोप रहे खंज़र हैं।।
इंसान जवान हो या बुजुर्ग प्रेम की भाषा सब समझते हैं,
दिल की नज़र से देखो दिल बिन कहे ये एहसास करते हैं।।
ए ख़ुदा के बन्दों ये अनमोल मानव जीवन साकार जरूर करना,
इस दशा में तुम भी आओगे, ऐसे काजों से पुण्य तुम भी कमा लेना।।