Week - 7 अंतरिक्ष
Week - 7 अंतरिक्ष
प्रतिभा की धनी वो जन-ज़न को प्यारी थी
नाम था कल्पना देश का नाम ऊँचा करती वो भारत की बेटी प्यारी थी
अंतरिक्ष यात्री बन हौसलों की उड़ान जिसने भरी थी
नासा में काम करके जिसने देश को अलग पहचान दिलाई थी
आँखों में जिसके सपने भरे सितारों सी चमक वो पाई थी
कल्पना चावला आशा की किरण थी बन गई नयी पीढ़ी के लिये एक आदर्श प्रेरणा स्रोत थी
कठिन लक्ष्य को हल कर कम समय में एक नया मुकाम जो हासिल कर पाई थी
हिम्मत को परिभाषित करती वो देश की पहचान अंतरिक्ष की उड़ान भर आई थी
हरियाणा (करनाल) की बेटी जो अपने
शहर का नाम रोशन कर आई थी
कुछ समय बाद एक दुखद दुर्घटना देखी भारत ने हर हिन्दुस्तानी की आँख भर आई थी
जाकर खो गई उसकी बेटी कहीं आसमान में
अंतरिक्ष जगत में अपने काम से विख्यात, देश को गौरवान्वित कर,
हर दिल में जिसने जगह पाई थी
हिन्दोस्तान धरा पर रही अनमोल रत्न सी चमक जिसने पाई थी
नारी जगत के लिए तुम प्रेरणा हे कल्पना तुम्हें शत शत नमन,
अंतरिक्ष जगत की तुम प्रिय कहलाई थी
अंतरिक्ष की यात्रा कर रच अविष्कार की अल्पना,
नम आँखों से तुम्हें देते श्रध्दांजलि हे करनाल की कल्पना