कठिनाई का आनंद।
कठिनाई का आनंद।
ये महंगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है,
दो वक़्त की रोटी मिलती नहीं है।
हक़ीक़त में जीवन कठिनाई भरा,
ख़्वाबों का घर बनाना मुश्किल है।
हमारा वो घर आलू की टिक्की से,
वो नल टूटी गोल गप्पे के पानी से।
वो चाय पीना सुबह-शाम रोज़ ही,
वो ऐसा ख़्वाबों का घर चाहते हम।
बनाना दोनों को हमें प्यारा सा घर,
आशियाना हमारा वो सुंदर सा घर।
कठिनाई का आनंद संयम से मिले,
तो हर हाल में हँसते हुए जीना हमें।