गंगा बैराज के दर्शन
गंगा बैराज के दर्शन
मैं और मेरा मित्र थे निकले बाहर स्कूल जाने को
टीचर ने होमवर्क दिया था याद नहीं बतलाने को
हम दोनों ने बंक किया एक दूजे को घुमाने को
भटके दिन भर हम दोनों कोई राह नहीं सुझाने को।
हम दोनों एक साथ में पहुंचे फिर से गंगाघाट
गंगाजी के दर्शन करके खाई हमने चाट
गंगास्नान के बाद लगाई सैर सपाट
डर था कहीं मिले ना हमको टीचरजी की डाट।
हमने खूब पत्ते खेले और किया हंगामा
छुप छुप कर हम घूम रहे कहीं मिल ना जाए मामा
मम्मी तब स्कूल थी पहुंची जानी क्या पैमाना
गुम हो चुकी थी हंसी लवो की चालू हों गया ड्रामा।
मैं बोला कि चोट लगी थी दोस्त बोला बुखार
हम दोनों को था खाली बचने का खुमार
तमाचे और डाँट का हमको मिला खूब व्यवहार
टीचर बोलो अभी तो बेटा खाली मेरा प्यार