STORYMIRROR

Vihaan Srivastava

Abstract

3  

Vihaan Srivastava

Abstract

सड़कों में सन्नाटा है

सड़कों में सन्नाटा है

1 min
457

कुदरत ने मानव जीवन को सुख व दुख में बांटा है

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में सन्नाटा है।


दुर्व्यसनो और बुरी लतों को ही मानव ने छाटा है

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में सन्नाटा है।


स्त्री संग बलात्कार हुए सम्पूर्ण जगत पे चाटा है।

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में सन्नाटा है


बलि और कुछ स्वाद के खातिर जीव जंतु को काटा है

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में सन्नाटा है।


चोरी और डकैती से लोगों का हुए घाटा है

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में सन्नाटा है।


उपद्रवों और दंगो से शांति शिष्टता टाटा है

मानव की हिंसा नफरत से सड़कों में !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract