नींद
नींद
हसरत दबे पाव सुस्की लगाती
खुद की तमन्ना कभी कह न पाती
तब सिफॆ बिस्तर के कोने ही दिखते
दिन मे भी नीदें भर-भर समाती
ख्वाबों में सच्ची है तस्वीर इनकी
मन को सुकूॅ देना तकदीर इनकी
आलस मे हरदम होती पीर इनकी
सोचो मे बाॅधे है जंजीर इनकी।।
तन को तसल्ली दे मन को दे राहत
झूठी सी दुनिया मे हसरत को चाहत
जो इसमें रम जाते उनमे क्या आहत
दुःख भरे जीवन में इसी से शहंशाहत।
