कौन किसका आसरा है
कौन किसका आसरा है
फाग ने हैं रंग खेले घाव ऋतु का पर हरा है !
कौन असली कौन नकली चेहरे पर चेहरा है !
केसरी होकर पलाशों ने बिखेरे रंग जी भर !
और सरसों जब विहँसती झूमती लागे धरा है !!
गम किसी के बाँटना हों खोल दो पट यार दिल के !
है नहीं कल का भरोसा वक्त खुद से ही डरा है !
नेह हो या प्रीत पावन बीच में परदा न हो बस !
जो नतीजा सामने है स्वर्ण से भी वह खरा है !
बोल पर बंदिश कहाँ है काम से बस काम रखें !
व्यर्थ जाएगा न श्रम ये , फोड़ने दो ठींकरा है !
हो भरोसा आज खुद पर हर कदम धोखे मिलेंगें !
व्यर्थ के विश्वास ढहते कौन किसका आसरा है !
जब सुमन खिल कर बिखरते गंध रहती दायरे में !
बिरज वे जब गुंथ गए तो फिर अलग ही माजरा है !
