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bhagawati vyas

Abstract

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bhagawati vyas

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कौन किसका आसरा है

कौन किसका आसरा है

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फाग ने हैं रंग खेले घाव ऋतु का पर हरा है !

कौन असली कौन नकली चेहरे पर चेहरा है !


केसरी होकर पलाशों ने बिखेरे रंग जी भर !

और सरसों जब विहँसती झूमती लागे धरा है !!


गम किसी के बाँटना हों खोल दो पट यार दिल के !

है नहीं कल का भरोसा वक्त खुद से ही डरा है !


नेह हो या प्रीत पावन बीच में परदा न हो बस !

जो नतीजा सामने है स्वर्ण से भी वह खरा है !


बोल पर बंदिश कहाँ है काम से बस काम रखें !

व्यर्थ जाएगा न श्रम ये , फोड़ने दो ठींकरा है !


हो भरोसा आज खुद पर हर कदम धोखे मिलेंगें !

व्यर्थ के विश्वास ढहते कौन किसका आसरा है !


जब सुमन खिल कर बिखरते गंध रहती दायरे में !

बिरज वे जब गुंथ गए तो फिर अलग ही माजरा है !


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