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ईश्वर से मुलाकात

ईश्वर से मुलाकात

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एक्सीडेंट हुआ था मेरा

सर पर चोट बड़ी गहरी थी

वेंटीलेटर लगा हुआ था

सांस शायद कुछ पल ठहरी थी।


कोमा में मैं चला गया था

न कुछ बोलूं, न सुन पाता

दिखी एक प्रचंड रौशनी

देखा मैंने था विधाता।


तेज रौशनी के बीच में

आकाशवाणी हुई एक तभी

तू यहाँ कैसे आ गया

वक़्त नहीं आया तेरा अभी।


इतने में क्या हुआ पता नहीं

एक नर्स की आवाज आई

मरीज को है होश आ गया

माँ को दे रही बधाई।


जब मैं थोड़ा ठीक हुआ तो

सबको मैंने किस्सा सुनाया

मौत से जब मैं जूझ रहा था

भगवन से मैं तब मिलकर आया।


कोई मेरा विश्वास करे न

कहें वो मन का वहम है ये सब

शुक्र करो तुम ठीक हो गए

कुछ दिन आराम करो अब।


सच था ये सपना नहीं था

समझाओगे किसको किसको

भाई ने भी ऐसा कहा तो

ये था कहना पड़ा मुझे उसको।


मेरे लिए ये बात अटल है

तुम्हारी तो तुम ही जानो

मैंने तो सच इसे मान लिया है

तुम इसे मानो या न मानो। 


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