मौसम और ज़िन्दगी
मौसम और ज़िन्दगी
मौसम रंग बदलता है
एक पल में बदल जाता है समां
कभी धूप कभी छाव
कभी बेरंग तो कभी खिला आसमां
मौसम ज़िन्दगी का आईना सा है
रंग बदलता रहता है ये जहां
वक़्त के साथ दोनों बदल जाते हैं
ना मौसम ना ज़िन्दगी एक सी रहती यहां
जब धूप की चुभन बढ़ जाती
हर शह हो जाती परेशां
ज़्यादती हर चीज़ की बुरी
ठंड का तीखापन भी
सहा जाता है कहाँ।